बूंदी-भीलवाड़ा में 200 हैक्टेयर पहाड़ निगल गया खनन माफिया

बूंदी-भीलवाड़ा में जंगल के भीतर के पहाड़ के सीने को खनन माफिया ने चीर दिया। लगभग 200 हेक्टेयर वन भूमि के बीच एक दशक से अवैध खनन किया जा रहा था, लेकिन खान से लेकर वन विभाग तक के अफसरों ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। दोनों ही विभागों के अफसरों ने चुप्पी साधे रखी। स्थानीय लोगों ने जब वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई को शिकायत की तो उन्होंने जांच का आदेश दिया। 


अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके उपाध्याय की ओर से की गई प्राथमिक जांच में जंगल के भीतर अवैध खनन करने की पुष्टि हुई हैं। अब इसकी विस्तृत जांच अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक फारेस्ट प्रोटेक्शन अर्जित बनर्जी की ओर से की जा रही है।


सूत्रों का कहना है कि अवैध खनन करने में स्थानीय स्तर के कई सफेदपोश भी शामिल हैं। माइंस और फारेस्ट के अफसरों की मिलीभगत से एक दशक से फारेस्ट एरिया में अवैध खनन किया जा रहा था। प्राथमिक जांच में यह भी तथ्य सामने आया है कि कुछ माइंस फारेस्ट एरिया के आसपास स्वीकृत कराई गई, लेकिन उसके स्थान पर फारेस्ट एरिया में खनन कराया गया। वन विभाग के अफसरों की मिलीभगत से यह खेल लंबे समय से चलता रहा। स्थानीय स्तर लोगों की ओर से कई बार शिकायतें की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हो पा रही थी।  


मंत्री के निर्देश के बाद जांच शुरू हुई। प्राथमिक के बाद विस्तृत जांच भी लगभग पूरी हो चुकी है। जांच कमेटी की  ओर से रिपोर्ट तैयार करने का काम किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि सितंबर के आखिर तक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। खास तथ्य यह है कि इन दोनों ही जिलों में लंबे समय से अवैध खनन किया जा रहा था। कार्रवाई करने की शिकायतों भी हो रही थी, लेकिन जितने भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक हेड आफ फारेस्ट फोर्स आए। किसी ने मामले की जांच तक नहीं कराया। इसको लेकर अब तक के हेड आफ फारेस्ट फोर्स की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है।